बारिश के पानी को कैसे सहेज सकते हैं #Rain Water Saving #janshaktiforjalshakti Way - OmIndia

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Sunday, June 30, 2019

बारिश के पानी को कैसे सहेज सकते हैं #Rain Water Saving #janshaktiforjalshakti Way

बारिश के पानी को कैसे सहेज सकते हैं आप

बारिश का मौसम है और इंदौर में खूब पानी भी बरस रहा है। इतनी बरसात के बाद भी हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत होती है। सवाल ये उठता है कि आखिर इतनी बरसात के बाद भी इंदौर में पानी की किल्लत क्यों होती है? क्या हम बरसात के मौसम में कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे गर्मियों में पानी की कमी न हो पाए। कुछ ऐसे ही ख़ास सवालों के जवाब सुधींद्र मोहन शर्मा ने यूथेन्स न्यूज को दिए। सुधींद्र जी 'मिनिस्ट्री ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सेनिटेशन' भारत सरकार की तरफ से नोडल ऑफिसर रह चुके हैं और 'वॉटर रिसॉर्स मेनेजमेंट' में सलाहकार हैं।

सुधींद्र जी ने बताया ''पानी का सबसे अच्छा स्त्रोत कुंए और बावड़ियां होते हैं। शहर में वॉटर लेवल को बढ़ाने में कुंए, बावड़ियां योगदान देते हैं। हमारे शहर में भी कुंए और बावड़ी काफी सक्सेसफुल हैं। कुंए, बावड़ियों में वॉटर लेवल बढ़ेगा तो जमीन में भी वॉटर लेवल बढ़ेगा। नगर-निगम के साथ हमने इंदौर के 629 कुंओं के सर्वे किए हैं। हर कुंए के बारे में पूरी जानकारी ली है और उसे नक्शे पर मार्क किया है। इन 629 कुंए में से 300 कुंए ऐसे हैं जिनका जीर्णोद्धार किया जा सकता है और उन्हें पुराने शेप में लाया जा सकता है। और बात शहर का जल स्तर बढ़ाने की है तो जल स्तर बढ़ाने के लिए हमें सबसे जल स्तर को गिराना रोकना होगा। भूजल का उपयोग कम करना होगा। यहां पानी कम खर्च करने से तात्पर्य बोरवेल के पानी का यूज कम करें और कुंए और बावड़ियों के जल का प्रयोग करें। ये जल्दी रिचार्ज होते है। जबकि बोरवेल को रिचार्ज होने में समय लगता है।

सुधींद्र जी ने बताया कि बोरवेल में जो पानी के निकलने और न निकलने का कारण जमीन की दरारे होती हैं। जिन बोरवेल में पानी आ जाता है उनकी दरारे चौड़ी होती हैं वहीं जिनमें पानी नहीं निकलता उनकी दरारे संकरी होती हैं। दरारे संकरी होने की स्थिति में उन बोरवेल में पानी नहीं आ पाता। लेकिन अगर ऐसी कोई बोरिंग होती है जिनमें पानी नहीं आया है तो आप ये पहले चेक करें कि उसकी दरारे कैसी हैं? इसके लिए आप उसे वॉटर हार्वेस्टिंग के जरिए रिचार्ज कर सकते हैं लेकिन रिचार्ज से पहले एक रिचार्ज टेस्ट कर लें। आप इस बोरवेल में टेंकर की मदद से पानी भरें और देखें कि पानी उसमें टिका है या नहीं अगर पानी टिका रहता है तो फिर वो बोरवेल आपके काम का नहीं है। लेकिन अगर पानी उसमें नीचे जा रहा है और खत्म हो रहा है तो बोरवेल को आप रिचार्ज कर सकते हैं क्योंकि उसमें दरारे हैं और पानी आने की संभावना होती है।

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कुएं जमीन के लिए एक अच्छा रिचार्ज प्वाइंट होते हैं। ऐसे में पानी को स्टोर करने के लिए ये सबसे अच्छा ऑप्शन है। बोरवेल में कुंए जितनी चौड़ाई होती नहीं है। इसलिए उसे रिचार्ज करना मुश्किल होता है। अब चूंकि कुंए रिचार्ज प्वाइंट हैं तो उनके आसपास हमें सफाई भी करना चाहिए। तालाब को जमीन के वॉटर रिचार्ज के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ये सिर्फ पानी स्टोर करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। हमें तालाब के पानी को पर्यावरण के लिए, प्रकृति के लिए, पशु-पक्षियों के लिए छोड़ देना चाहिए।

इंदौर में अगर देखा जाए तो जिन इलाकों में पानी भरता है उनमें पानी निकलने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए पानी घरों में भरता है। वहीं दूसरी तरफ जहां पानी निकलने का रास्ता है वहां आजकल घर बन चुके हैं। जिससे बाढ़ जैसी स्थिती बन जाती है। बात अगर तालाब की करें तो यहां भी बारिश के मौसम में एकदम से शहर का पानी तालाब में पहुंचता है जिससे तालाब ओवरफ्लो हो जाता है और उसे कम करने के लिए पानी छोड़ना पड़ता है तो शहर में कई जगह बाढ़ आ जाती है।

अगर हम शहर का या अपने घर का ढांचा भी देखें तो हम ये देखते हैं कि उसमें बारिश का पानी घर से बाहर निकल जाए। हर जगह यहीं होता है। लेकिन हमें शहर की कुछ जगहों पर पूरा सर्वे करके रिर्चाजिंग प्वाइंट बनाना चाहिए। लेकिन ये रिचार्ज प्वाइंट हर जगह नहीं बनाए जा सकते। इसके लिए पूरा मास्टर प्लान होना चाहिए और उस जगह का सर्वे होना चाहिए। तभी वहां रिचार्ज प्वाइंट बनाना चाहिए। वैसे बारिश के पानी को रोकना भी सही नहीं है। ये पानी जैसे बह रहा है उसे बहने दें। अगर हम इसे रोकेंगे तो बाढ़ जैसे परिणाम हमारे सामने होते हैं।

इससे अच्छा ये है कि जैसे आपके घर में बोरवेल है या कहीं भी है तो आप अपने घर की छत पर जो पानी बरसता है उसे इकट्ठा करके वॉटर हार्वेस्टिंग के जरिए रिचार्ज कर सकते हैं। लेकिन जगह-जगह पूरी कॉलोनी का पानी रोकना और रिचार्ज करना, ये गलत होता है। वॉटर हार्वेस्टिंग में भी ये जरूरी है कि जिस बोरवेल के पास आप इसे बना रहे हैं वहां प्रॉपर फिल्टर लगे हो क्योंकि ये आपकी बोरवेल में जा रहा है। सुधींद्र जी ने बताया कि बोरवेल के वॉटरलेवल को बढ़ाने के लिए उनके घर में भी वॉटर हार्वेस्टिंग की गई है। जिसके लिए उन्होंने अपने लॉन में दो फिल्टर लगाए हैं।

पीने के पानी की बात करें तो इंदौर में अधिकतर जनता नर्मदा के जल पर आश्रित है और इंदौर में इस जल की वैसे ज़्यादा कोई कमी नहीं है। इंदौर में नर्मदा का जल फिल्टर होकर आ रहा है ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि इतने बड़े लेवल पर इंदौर में इस पानी को लाना एक बहुत बड़ा काम है। इसके लिए नगर निगम बधाई का पात्र है।

इंदौर में बारिश के पानी को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम होते हैं लेकिन इनका प्रेक्टिकल इंपैक्ट नहीं आता है। प्रेक्टिकल सेमिनार इसके लिए बहुत कम होते हैं। अभी हाल ही में 22 प्लंबर्स को इस बारे में ट्रेनिंग दी गई। वैसे इस तरह के प्रैक्टिल सेमिनार होने चाहिए जिससे पानी के प्रति लोगों को जागरूकता हो। वैसे प्रैक्टिल सेमिनार की जरूरत आम जनता को कम लेकिन उन लोगों को ज़्यादा है जो इन चीज़ों के लिए जिम्मेदार है।

दूषित पानी हमारे यहां बहुत बड़ी समस्या है लेकिन इसके लिए यहां ज़्यादा कोई प्रयास नहीं है। इंदौर में कई ऐसे एरिया है जिनमें इंडस्ट्रीयल एरिया है और दूषित पानी आता है। इसके लिए कॉलोनी के कुछ घरों में वॉटर सैंपल भी लिए जाने चाहिए। वैसे नर्मदा का जो जल है वो साफ आता है लेकिन ट्यूबवेल के पानी नालों के किनारे होने के कारण दूषित हो रहे हैं। वैसे इंदौर में कम्यूनिटी आरओ का चलन भी हो गया है। जिसमें इंदौर में 50 पैसे प्रति लीटर में साफ पानी आपको दिया जाता है।

जल हम सबका जीवन है। इसे संभालकर रखना हमारी जिम्मेदारी भी है लेकिन जल के साथ हम प्रकृति का भी ख्याल रखे। आप भी इन बातों का ध्यान रखें कि बारिश के पानी का जैसे भी यूज कर रहे हैं उससे प्रकृति का नुकसान न हो। अगर प्रकृति का नुकसान हुआ तो हमारा नुकसान होना भी तय होता है।

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