भारत के महत्वपूर्ण कानून -Important law of indian constitution :-
अनुच्छेद 2 संसद को नए राज्य स्थापित करने या उन्हें स्वीकार करने की अनुमति देता है;
अनुच्छेद 3में नए राज्यों की संरचना, बदलाव या नामकरण की अनुमति दी गई है;
अनुच्छेद 5-11 में नागरिकता के अधिकार दिए गए हैं, जो उसी समय के है जब पहली बार संविधान बना था। जो लोग पाकिस्तान से भारत आए, जो भारत से पाकिस्तान गए, भारत में रहने वाले नागरिकों के साथ ही विदेशी नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय नागरिकता त्यागने और नागरिकता के अधिकारों को जारी रखने से जुड़ी जानकारियां हैं।
अनुच्छेद 12-35 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की जानकारी है। यह जानना बेहद जरूरी है कि संविधान सभी नागरिकों पर लागू होने वाले कुछ अधिकारों की गारंटी देता है, जिन्हें हम मौलिक अधिकार कहते हैं। इन अनुच्छेदों में शामिल हैः
(14-15)समानता का अधिकारः धर्म, जाति, नस्ल, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव को रोकता है;
(16)सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार के लिए समानता का अधिकार देता है;
(17) अस्पृश्यता का अंत;
(18) उपाधियों का अंत;
(19) स्वातंत्र्य का अधिकारः नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्त करने की आजादी है, बिना हथियारों के और शांतिपूर्वक जमा होन का अधिकार है, एसोसिएशन या यूनियन बनाने का अधिकार है, भारत के किसी भी हिस्से में बिना किसी रोक-टोक के घूमने का अधिकार है, भारत के किसी भी हिस्से में रहने या बसने का अधिकार है, किसी भी व्यापार, कारोबार या पेशे के अपनाने का अधिकार है;
(21) जीवन और व्यक्तिगत आजादी का संरक्षण;
(21ए) शिक्षा का अधिकारः 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार। कई इलाकों में, अभिभावक मुफ्त शिक्षा के अधिकार के बारे में नहीं जानते, इस वजह से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते।
(23-24) शोषण के खिलाफ अधिकारः मानव तस्करी और बंधुआ या जबरदस्ती मजदूरी कराने पर प्रतिबंध। अक्सर देखा गया है कि इस अधिकार की अनदेखी होती है और पीड़ितों का शोषण किया जाता है।
(25-28) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकारः नागरिकों को किसी भी धर्म को अपनाने या प्रचार करने का अधिकार है;
अनुच्छेद 36-50 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। नीति निदेशक तत्वों में मानव कल्याण और सभी नागरिकों को समान न्याय, स्वास्थ्य और पोषण देने के लिए राज्य के दायित्वों का उल्लेख किया गया है। एससी/एसटी और अन्य कमजोर तबकों के कर्मचारियों के कल्याण, कृषि और पशु पालन को बढ़ावा और प्रोत्साहन, स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव, वन और पर्यावरण की सुरक्षा, कार्यपालिका से न्यायपालिका को पृथक करने, और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा और प्रोत्साहन देना शामिल है।
अनुच्छेद 51ए में नागरिकों के बुनियादी दायित्वों को विस्तार से समझाया गया है।
अनुच्छेद 52-151 खंड 4 में संघ
(52): भारत के राष्ट्रपति;
(53): संघ की कार्यकारी शक्तियां;
(54): राष्ट्रपति का चुनाव;
(55): राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका;
(56): राष्ट्रपति के कार्यालय की अवधि;
(61): राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की प्रक्रिया;
(63): भारत के उपराष्ट्रपति;
(64): उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना;
(65): राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उनकी अनुपस्थिति में उप-राष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उनके कार्यों का निर्वहन;
(72): राष्ट्रपति की किसी दोषी की सजा को निलंबित करने, माफ करने या उसकी अवधि कम करने की शक्ति;
(79): संसद का गठन;
(80): राज्यों की सभा- राज्यसभा की संरचना, इसे ऊपरी सदन भी कहा जाता है;
(81): लोगों के सदन- लोकसभा की संरचना, जिसे निचला सदन भी कहा जाता है; (83): संसद के सदनों की अवधि;
(93): लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष;
(100): सदनों में मतदान, रिक्तयों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और कोरम;
(102): संसद के किसी भी सदन से किसी सदस्य की सदस्यता को अयोग्य घोषित करना;
(105): इस अनुच्छेद में संसद के दोनों सदनों, उसके सदस्यों और समितियों के विशेषाधिकारों, शक्तियों की जानकारी दी गई है;
(107): विधेयक को प्रस्तुत करने और पारित करने की प्रक्रिया और प्रावधान दिए गए हैं।
(108): कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठकः विवादित विधेयकों के पारित होने को लेकर अनुच्छेद107 और 108 का जिक्र अक्सर होता है।
(109): धन विधेयक या मनी बिल्स को पारित करने की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। लोकसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक राज्यसभा में जाते हैं। वहां से सुझावों-सिफारिशों और मंजूरी के बाद यह विधेयक लोकसभा में लौटता है, जो सिफारिशों को मंजूरी के बिना भी उसे पारित कर सकता है।
(110): धन विधेयक को परिभाषित किया गया है;
(112): वार्षिक वित्तीय विवरण, इसे सालाना बजट भी कहा जाता है, जो संसद में वित्त मंत्री पेश करते हैं;
(114): विनियोग विधेयक;
(123): संसद के विश्रांति काल में अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति की जानकारी देता है;
(124): उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन;
(126-147): भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, उच्चतम न्यायालय की भूमिका और कार्यप्रणाली; (148-151): इसके दायरे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति, उसकी भूमिका और जिम्मेदारियों के साथ ही अंकेक्षण रिपोर्ट देने की जानकारी आती है।
अनुच्छेद 152-237, खंड 6 में राज्यों के संबंध में उपबंध दिए गए हैं। (152-161): इसके तहत राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति, दायित्वों और कामकाज को विस्तार से समझाया गया है; (163): इसमें मंत्रि परिषद की राज्यपाल को सहयोग व सलाह देने की भूमिका का उल्लेख है; (165): राज्यपाल द्वारा राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति की प्रक्रिया को विस्तार से दिया है; (170): राज्य के विधान मंडलों की संरचना की जानकारी दी गई है; (171): इसमें राज्य के विधान परिषदों की संरचना की जानकारी दी गई है; (194): विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों तथा समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकारों की जानकारी दी गई है; (214-237): उच्च न्यायालय और उसके क्षेत्राधिकार, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, निचली अदालतों पर नियंत्रण आदि को इन अनुच्छेदों में परिभाषित किया गया है।
(239-242): इस प्रावधान में केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है;
(243 ए-ओ): पंचायतों और ग्राम सभा की परिभाषा, संचरना और कामकाज की जानकारी दी गई है।
अनुच्छेद 245-263, खंड 9 में संघ और राज्यों के संबंधों को शामिल किया गया है।
(245): संसद और राज्यों के विधान-मंडलों की ओर से बनाए गए कानूनों का विस्तार;
(257): कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण।
अनुच्छेद 324-329 में चुनावों से जुड़ी कार्यप्रणाली को सविस्तार समझाया गया है।
अनुच्छेद 330-342 के दायरे में एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों के लिए किए गए विशेष प्रावधान शामिल है।
अनुच्छेद 343-351 के दायरे में संघ और राज्यों की राजभाषा, उच्चतम और उच्च न्यायालय की भाषा और हिंदी भाषा के विकास के बारे में बात की गई है।
अनुच्छेद 352-360; (352): आपातकाल की उद्घोषणा। इसके दायरे में वह प्रावधान आते हैं, जिनके तहत आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। 1975 में आपातकाल लगाने के दौरान, इसे और इससे जुड़े अनुच्छेदों का इस्तेमाल किया गया था और इस पर लंबे समय तक चर्चा भी होती रही है; (356): इसके तहत राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था नाकाम रहने की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा की गई है। हाल ही में उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों को इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए बर्खास्त किया गया था। यह बात अलग है कि उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से दोनों राज्यों में फिर सरकारें बहाल हो गईं। (360): इसके तहत राष्ट्रपति के पास अधिकार है कि वह वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकता है।
अनुच्छेद 368 के तहत संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है।
अनुच्छेद 369 के तहत संसद को राज्य सूची के विषयों के संबंध में कानून बनाने की अस्थायी शक्ति की चर्चा की गई है, जिसमें संबंधित विषय को समवर्ती सूची में मानकर कार्यवाही की जाती है।
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर से जुड़े मसलों में यह अनुच्छेद अक्सर चर्चा में आता है।
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